Saturday, December 19, 2015

आत्मकथा


जन्म से मेरा एक नाम था श्री राम गुप्त (about.me/ShriRamGupta)। जिस पर मेरे सारे सर्टिफिकेट हैं। रेगुलर जॉब के दौरान कुछ लड़कियाँ जबरजस्ती मेरी दुश्मन बन गयी। जिनसे बचने के लिए मैंने फ्रीलान्स वेबसाइट पर नाम बैताल राज (about.me/BaitalRaj) रख लिया। लेकिन बैक में फ्रीलान्स वेबसाइट जानती थी कि मैं राम हूँ न कि बैताल। लेकिन राम के नाम से मैं इस दुनिया में फिट नहीं बैठा। तो मैंने न्यूज़ पेपर में पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस का प्रयोग अपना नाम राम से आलोक गुप्त (about.me/AlokGuptaHere) में बदल लिया। और मैं मोस्ट कॉमन मानव बिहेवियर अपना लिया। दुर्भाग्य बस मैं आलोक के रूप में नहीं रह पाया और औरतो के अगेंस्ट क्राइम दूर करने पर उतर आया। और मैंने अपना नाम "hutia Ram" (about.me/hutiaRam) रख लिया। hutia में 'C' एब्सेंट हैं।

इस पोस्ट से जुड़े लिंक:
hutia Ram का आत्मकथा (hutiaram.blogspot.com/2015/12/blog-post_20.html)

(जारी)

अंग्रेजी संस्करण: 
Autobiography

अंत में, मैं सबसे महत्वपूर्ण बात यह कहूँगा कि पशु पक्षियों को मत खाओ; और उन्हें मत तंग करो। अगर गाय भैस वगैरा को पालो तो उन्हें मान दो; और उनके गले में मत रस्सी बाधो। नहीं तो अपने पतन की रफ़्तार तेज कर लिए। यह मेरे समूह विवाद सिद्धांत के आधार पर है; जो कि मैंने अपने रूम मे जिक्र किया था। 

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